Nandsi-fort

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उठाकर तलवार , जब घोड़े पे सवार होते है !
बाँध के साफा , जब तैयार होते है !
देखती है दुनिया छत पर चडके
ओर कहती है काश हम भी राजपूत होते.!

ज़िन्दगी तो राजपूत जिया करते है, दिग्गजों को पछाड़ कर राज किया करते है, कौन रखता है किसी के सर पर ताज, राजपूत तो अपना राज तिलक सवयम किया करते हे !

RAJPUT RISKY AFTER DRINK WHISHKY
दारु पीवो रण चढो, राता राखो नैण।
बैरी थारा जल मरे, सुख पावे ला सैण॥

हाथ डाल तलवार और मजबूती तू धर दे मात चावंडा राजपूतो में मजबूती

हु खप जातो खग तले, कट जातो उण ठोड !
बोटी-बोटी बिखरती, रेतो रण राठोड !!

मरण नै मेडतिया अर राज करण नै जौधा ”
“मरण नै दुदा अर जान(बारात) में उदा ”
उपरोक्त कहावतों में जौधा राठोडों को आत्मोत्सर्ग में अग्रगण्य तथा युद्ध कौशल में प्रवीण मानते हुए मृत्यु को वरण करने के लिए आतुर कहा गया है जौधा राठोडों ने शौर्य और बलिदान के एक से एक कीर्तिमान स्थापित किए हैदारु मीठी दाख री, सूरां मीठी शिकार।
सेजां मीठी कामिणी, तो रण मीठी तलवार।।

व्रजदेशा चन्दन वना, मेरुपहाडा मोड़ !
गरुड़ खंगा लंका गढा, राजकुल राठौड़ !!

“बलहट बँका देवड़ा, करतब बँका गौड़
हाडा बँका गाढ़ में, रण बँका राठौड़”

R FOR:-ROYAL
A FOR:-ATTRACTIVE
T FOR:-TALENTED
H FOR:-HUMEROUS
O FOR:-ORATOR
R FOR:-RIGID
E FOR:-ENERGETIC

राजपूत कौन?????

राजपूतों की ऐसी कहानी है , कि राजपूत ही राजपूत कि निशानी है हम जब आये तो तुमको एहसास था , कि कोई एक शेर मेरे पास था हम गरम खून के उबाल हैं , प्यासी नदियों की चाल हैं , हमारी गर्जना विन्ध्य पर्वतों से टकराती है और हिमालय की चोटी तक जाती है हम थक कर बैठेने वाले रड बांकुर नहीं ठाकुर हैं …. गर्व है हमें जिस माँ के पूत हैं , जीतो क्यूंकि हम राजपूत हैं

विविधायुध वान रखे नितही , रण से खुश राजपूत वही |
सब लोगन के भय टारन को ,अरी तस्कर दुष्टन मारन को |
रहना न चहे पर के वश में ,न गिरे त्रिय जीवन के रस में |
जिसके उर में शान्ति रही ,नय निति रखे राजपूत वही |
जननी भगनी सम अन्य त्रिया, गिन के न कभी व्यभिचार किया |
यदि आवत काल क्रपान गहि ,भयभीत न हो राजपूत वही |
धर्तिवान से धीर समीप रखे , निज चाकर खवासन को निरखे |
जिसने न रिपु ललकार सही , राजपूत रखे राजपूत वही |

“वो कौमे खुशनसीब होती है; जिनका इतिहास होता है!
वो कौमे बदनसीब होती है; जिनका इतिहास नहीं होता है!
और वो कौमे सबसे ज्यादा बदनसीब होती है;
जिनका इतिहास भी होता है लेकिन वो इतिहास से सबक नहीं लेती ”
“क्षति से समाज की रक्षा करता है वो है सच्चा क्षत्रिय” सदियों से क्षत्रियो ने इस महान गौरवशाली संस्कृति और सभ्यता की रक्षा हेतु अपने खून की नदिया बहाई! क्षत्रियों के त्याग और वीरता की मिसाल शायद ही कही हो! आज वक़्त बदल गया है! राजपाट और तख्त भी बदल गया है! दुनिया बदल रही है! मगर हमारे लहू की गर्मी और उर्जा,हमारा वो दिव्यक्षत्र
तेज आज भी बरक़रार है! आओ हम सब वीर और वीरांगना मिलके एक ऐसा नव समाज बनाये जो दुनिया को सही राह दिखाए हम सब मिलकर हमारी प्राचीन धरोहर,हमारा महान इतिहास,हमारी गौरवशाली परंपरा का रक्षण करे! राजपूत समाज को सुसंघटित करने हेतु..समाज में फिरसे उमंग की लहर निर्माण के हेतु..राष्ट्रीय भावना बढ़ाने हेतु..क्षत्रिय राजपूतों का एक बड़ा परिवार बनाने हेतु हम सब कार्यरत है!

हम मृतयु वरन करने वाले जब जब हथियार उठाते हैं
तब पानी से नहीं शोनीत से अपनी प्यास बुझाते हैं
हम राजपूत वीरो का जब सोया अभिमान जगता हैं
तब महाकाल भी चरणों पे प्राणों की भीख मांगता हैं

जवाब हर सवाल ए लाजवाब हम खुद के पास रखते हैं ..II
अपनी हर अदा ओ अंदाज में शय कोइ सबसे खास रखते हें ..II
मुक्तलिफ़ यूं हि ये जहां हर इक को नहीं कहता ,,,,
हम रांझे सा दिल सिकंदर सा होशो हवास रखते हें …II

kuch aur hai hum rajput …kuch is tarike se..

अल्फ़ाज़ों मैं वो दम कहाँ जो बया करे शख़्सियत हमारी,
रूबरू होना है तो आगोश मैं आना होगा ,
यूँ देखने भर से नशा नहीं होता जान लो साकी,
हम इक ज़ाम हैं हमें होंठो से लगाना होगा ……

हमारी आह से पानी मे भी अंगारे दहक जाते हैं ;
हमसे मिलकर मुर्दों के भी दिल धड़क जाते हैं ..
गुस्ताख़ी मत करना हमसे दिल लगाने की साकी ;
हमारी नज़रों से टकराकर मय के प्याले चटक जाते है … ..||

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